कैरियर लेख
अपने जीवन का जुनून पूरा करें, सिविल सेवाओं में कैरियर बना कर
मई और जून के दो महीनों में चिल-चिलाती गर्मी के दिन व्यापक यात्रा और सिविल सेवा परीक्षा 2011 में सफल कुछ उम्मीदवारों के साथ व्यस्त कार्यक्रम में निकले।
ऐसे उम्मीदवारों से मिलना मेरे लिए हर्ष का विषय है, जिन्होंने अपने जीवन के जुनून को हकीकत में बदला है प्रतिभाशाली युवा जो वास्तव में जीवन में बड़ी सफलता का स्वप्न बुनते है और अपनी मेहनत और कठिन प्रयास द्वारा सिविल सेवाओं में कैरियर बनाने में सफल रहे हैं, उनसे मिलकर वाकई खुशी और समृद्ध अनुभव का एहसास हुआ।
पहले बात करें कुछ ऐसे सफल उम्मीदवारों से जिन्होंने जुनून पूरा किया
सिविल सेवा परीक्षा में सफलता एक बड़ी उपलब्धि है और सफल उम्मीदवार लाखों आगामी उम्मीदवारों के रोल माॅडल बन जाते हैं, जो आगे सिविल सेवा परीक्षा में सफलता कीज आशा सॅंजोकर बैठते हैं।
एक बार फिर से मैं इस निष्कर्ष पर पहुॅंचा हूॅं कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी हेतु कोई ऐसी रणनीति नहीं है, जो सभी उम्मीदवारों पर फिट बैठे, जिन्हें एक टेम्पलेट की तरह से इस्तेमाल किया जा सके यहाॅं प्रत्येक सफलता की अपनी ही कहानी है रैंक 1 हो या रैंक 910, प्रत्येक की सफलता में कुछ खासियत है, जिसकी सफलता में सहायता प्रदान की या कोई बाधा, जिस वजह से रैंक पीछे चली गई।
यह एक कड़ी प्रतियोगिता परीक्षा है और यहाॅं आपको अपने लिए खुद ही रणनीति निर्धारित करनी है, जो आपको अपना लक्ष्य भेदने में सक्षम बनाए।
सिविल सेवा परीक्षा में सफलता अधिकांश के लिए अनिश्चित ही बनी रहती है और जो उम्मीदवार परीक्षा-सम्बन्धी जरूरतों को समझने में व्यावहारिक रूख नहीं अपनाते ऐसे उम्मीदवारों के लिए सफलता मरीचिका के समान है।
ष्प्।ैष् ही किसी की इच्छा-सूची पर सर्वोच्च है।
निःसंदेह, यह परीक्षा मुश्किल है, परन्तु यह सोचकर बैठ जाना कि यह पहुॅंच के परे है, यह एक बेकार का तर्क है आखिर कुछ तो खास है, जो प्रत्येक वर्ष लाखों युवा प्।ै बनने का स्वप्न लिए इस परीक्षा में भाग लेते हैं,
पिं्रस धवन (रैंक 3) साधारण शब्दों में कहते हैं कि मैंने प्।ैै इसलिए चुना, क्योंकि यह मुझे जरूरी स्तर पर कार्य का अवसर प्रदान करती है, आम व्यक्ति से वार्तालाप उनकी समस्याओं को समझने और उनका समाधान प्रस्तुत कर अपना योगदान देने हेतु सक्षम बनाती है।
अजय कटेसरिया (रैंक 28) को राष्ट्र एवं समाज की सेवा की प्रेरणा इस ओर लेआई, वह कहते हैं कि मैंने प्।ै को प्रथम विकल्प इसलिए चुना क्योंकि मैं देश की विकास प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहता हॅूं।
हाॅं मैं जूनूनी हॅूं, पर यह जूनून इस परीक्षा के लिए नहीं वरन् इस पर द्वारा किए जा सकने वाले कार्य के प्रति ऐसा मानना है। निखिल पवन कल्याण (60 रैंक) का मेरे अन्दर क्षमता है और मैं इस सफलता के बाद अन्तर ला पाऊॅंगा मैं अपना जुनून अपने कार्य में व्यक्त करूॅंगा।
मैं पहले से ही भारत की सर्वश्रेष्ठ प्ज् कम्पनी में कार्यरत हूॅं, इसलिए केवल एक आकर्षक कैरियर मात्र ही मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत नहीं था।
थापर इन्स्टीट्यूट से इंजीनियर राजनवीर सिंह कपूर (92वीं रैंक) पंजाब के एक सम्पन्न परिवार से हैं। पिता एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और माताजी भाइयों के साथ कनाडा में रही हैं, राजनवीर कहते हैं कि मेरे लिए बहुत से विकल्प खुले थे और विदेश जाने का रास्ता सबसे सरल एवं ग्राह्य था, नए कैरियर और काॅर्पोरेट जगत् समृद्ध परिवारों से आने वाले बच्चों को मत्रमुन्ध रखता है, परन्तु बचपन से ही मेरे अन्दर एक सामाजिक सोच शामिल है, जिससे मैं अपने देश की तरक्की में योगदान दे सकूॅं, और जब मैंने कैरियर विकल्प के बारे में सोचा तो, प्।ै ने विशेषकर मुझे मोहित कर लिया।
अपने बारे बताते हुए निधि चैधरी (145वीं रैंक) कहती हैं कि 22 वर्ष की आयु में मैने रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया में 2006 में कैरियर शुरू कर लम्बे समय तक कुछ और नहीं सोचा 2009 में मेरी बहन विधि ने (ब्ैम् 2009) में प्च्ै में सफसता प्राप्त की और मुझे कम-से-कम एक प्रयास लेने के लिए प्रेरित किया मैंने ब्ैम् 2010 में प्रथम प्रयास पर प्राप्त किया इस प्रयास में थोड़ी अधिक तैयारी की और यह सफलता प्राप्त कर प्।ै पर सुनिश्चित किया।
सिविल सेवा परीक्षा में सफलता का रहस्य
मुझे यह नहीं पता कि यह परीक्षा आपको उत्तेजित करती है या नहीं, लेकिन प्रत्येक वर्ष 5 लाख से अधिक युवा अपनी किस्मत आजमाने के लिए परीक्षा में आवेदन करते हैं, परन्तु सीमित संख्या में ही योग्यता सूची में अपना स्थान बना पाने के सक्षम होते हैं।
मुझे यकीन है कि यदि आप सिविल सेवाओं में कैरियर बनाने की उत्सुक होंगे कि कैसे इन्हें प्रेरणा मिली और किस प्रकार इन युवाओं ने अपने को लक्ष्य के प्रति समर्पित रखा।
मंगेश कुमार (रैंक 4) को प्।ै टाॅपर्स ने सदैव प्रेरित किया और उनसे कड़ी मेहनत और लक्ष्य के प्रति समर्पण की प्रेरणा मिली, वह अपने को शाह फैसल (।प्त्.1ए ब्ैम् 2009) का ऋणी मानते हैं, जिनकी सफलता ने तैयारी के दौरान सदैव प्रेरित रखा।
दृढ़ संकल्प, नियमित अध्ययन और कड़ी मेहनत हर्शिका सिंह (8वीं रैंक) के लिए सफलता की कुंजी साबित हुई।
लक्ष्य के प्रति समर्पण और जीतने का संकल्प नीतिका पवार (18वीं रैंक) की बातों में प्रतिबिम्बित होता है। जो कहती हैं कि सफलता का रहस्य कुछ भी नहीं केवल अपने सपनों को आगे बढ़ाने और उन्हें पाने के लिए अपना सब कुछ देना है।
अजय कटेसरिया (28वीं रैंक) के लिए इस परीक्षा में भाग लेना कोई सोची हुई रणनीति नहीं थी, लेकिन मेरी आदत है कि जो भी काम हाथ में ले लेता हूॅं, पूरा करके ही दम लेता हॅूं, मेरे जीवन के इस सिद्धान्त ने ही मुझे शीर्ष रैंक दिलवाने में मदद की वह अपनी सफलता का श्रेय भगवत गीता को देते हैं। जिसे वह अपनी प्रेरणा एवं सफलता का स्रोत मानते हैं।
रवीन्द्र बिनवाडे (30वीं रैंक) का मानना है कि चाहे आपकी, आपके परिवार की कैसी भी परिस्थिति हो यदि इरादे मजबूत हैं, तो कठिन परिश्रम द्वारा सफलता पाई जा सकती है और ’जहाॅं चाह, वहाॅं राह’ सफलता पाई जा सकती है और ’जहाॅं चाह, वहाॅं राह’ सफलता का मूल मंत्र है।
प्रकाश राजपुरोहित (रैंक 2, ब्ैम् 2009) की सफलता से प्रेरणा पाकर हिमांशु गुप्ता (62वीं रैंक) अपने वरिष्ठ मित्रों के मार्गदर्शन, सही वैकल्पिक विषयों और अच्छे अध्ययन समूह को अपनी सफलता का रहस्य बताते हैं।
रितेश कुमार अग्रवाल (70वीं रैंक) के लिए दृढ़ता धैर्य और स्वयं में विश्वास को सफलता का आधार मानते हैं।
निखिल पवन कल्याण (60वीं रैंक) का कहना है कि मेरी सफलता का कोई रहस्य नहीं, मैंने जो भी किया, जिसमें भी विश्वास रखा उन सबको अपने मित्रों (जो मेरी सुनते हैं) के साथ बाॅंटा, जो खुद के लिए इसका उपयोग कर सकें, मैंने एक अच्छी सोची-समझी योजना का अनुसरण किया, जो अत्यंत जुनून से भरी थी, जहाॅं पैसे, समय और प्रयास की परवाह नहीं की केवल मेरे आदर्शों और जीवन के सिद्धान्तों में सुधार पर संचालित रही।
दृढ़ता को अपनी सफलता का राज मानने वाली ममता गुप्ता (170वीं रैंक) कहती है कि मैं हमेशा प्रयास करती रही, और यह विश्वास बना रहा कि मेरे प्रयास एक दिन सुफलता के रूप में निःसंदेह सकारात्मक परिणाम देंगे।
कुछ प्रथम प्रयास परीक्षा को जानने क लिए लेते हैं, तो कुछ अपने स्वप्न पूरा करने के लिए
कुछ उम्मीदवार इस परीक्षा को लापरवाही से लेते हैं और मानते हैं कि प्रथम प्रयास में विषय और परीक्षा की आवश्यकताओं से परिचित हो लें। वहीं इसके ठीक विपरीत यहाॅं कई उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जो अपने पहले ही प्रयास में उच्च रैंक प्राप्त कर अपने सपनों को साकार करते हैं।
आज के परिवेश में आप दूसरों के अनुभवों से सीख सकते हैं, उनके ज्ञान- कौशल और समझ का भरपूर उपयोग कर सकते हैं ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार के प्रयोगों की क्या जरूरत है ?
रूकमणी रयार (दूसरी रैंक), प्रिंस धवन (तीसरी रैंक), अमृतेश कालिदास (10वीं रैंक), नीरज कुमार सिंह (11वीं रैंक), नीतिका पवार (18वीं रैंक), नेहा प्रकाश (22वीं रैंक) और अन्य कई उम्मीदवारों की प्रथम प्रयास में सफलता आगामी उम्मीदवारों के लिए प्रथम प्रयास में सफलता प्राप्त करने हेतु एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
अमृतेष (10वीं रैंक) को प्रेरणा और मार्ग-दर्शन अपनी बड़ी बहिन चिन्मय औरंगवादकर से मिला जो अपने पहले प्रयास (ब्ैम् 2009) में प्च्ै पर पर चयनित हुई थी, वह कहते हैं कि मेरी बहन मेरे लिए प्रकाश स्तम्भ के समान थीं और मेरे लिए घर में ही महान् गाइड होना सबसे बड़ा गुण था।
प्रथम प्रयास में शाह फैसल (।प्त् 1ए ब्ैम् 2009) की सफलता नीरज कुमार सिंह के लिए भी प्रेरणा का स्रोत रही, जिन्होंने अपनी तैयारी की शुरूआत तब की ही थी जब मई 2010 में यह परिणाम आया था। उस प्रेरणादायक क्षण को याद करते हुए कहते हैं कि परीक्षा-सम्बन्धी फैली विभिन्न अवधारणाओं के बावजूद इस बात का विश्वास होने लगा था कि प्रथम प्रयास में भी सफलता पाई जा सकती है और इसका परिणाम हमारे सामने ही है कि नीरज ने भी प्रथम प्रयास में उच्च रैंक के साथ सफलता प्राप्त की।
ऐसा नहीं है कि कुछ उम्मीदवारों ने प्रथम प्रयास में सफलता प्राप्त की प्रत्येक वर्ष कई उम्मीदवार अभूतपूर्व सफलता प्राप्त करते हैं और प्रथम प्रयास में सफलता के अनेक उदाहरण मिल जाएंगे।
वास्तव में मुझे समझ में नहीं आता कि कैसे कुछ लोग नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं और अपनी क्षमताओं को भूल बैठते हैं और अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष बरबाद करने के लिए तैयार हो जाते हैं, यदि इस परीक्षा में सफलता इतनी कठिन होती तो कैसे कुछ उम्मीदवार प्रथम प्रयास में ही लक्ष्य भेद में सफल हो जाते हैं।
यदि आपको लगता है कि तैयारी अच्छी नहीं है, तो आप ढ़ीला-ढ़ाला रवैया अपनाने के बजाय एक वर्ष और तैयारी करके फिर परीक्षा में बैठने का मन बनाएं न कि प्रयास के बाद प्रयास बर्वाद करें।
मेरी इस बात से आश्वस्त नहीं हैं, तो नेहा प्रकाश (22वीं रैंक) से प्रेरणा लें, जिन्होंने 28 वर्ष की उम्र में पहला प्रयास लिया और सफलता प्राप्त की वह कहती हैं कि बचपन से ही सिविल सेवाओं की ओर झुकाव था, लेकिन साथ ही मेरा मानना था कि मैं अपने ज्ञान के क्षितिज को और अधिक विस्तृत कर लॅंू सिविल सेवाओं में जाने से पहले।
आप ऐसे रोचक और प्रेरणादायक लेख एवं जानकारियाॅं ूूूण्पंेचंेेपवदण्बवउ पर भी पा सकते हैं, जो विविल सेवा परीक्षा-सम्बन्ध्ाी तैयारी पर अन्तर्दृष्टि ला सकती है।
सफल उम्मीदवारों के बारे में जान-कारियाॅं और प्रेरणा के बाद हमह परीक्षा सम्बन्धी तत्काल जरूरतों, मुख्य परीक्षा 2012 पर नजर डालें।
मुख्य परीक्षा 2012: तैयारी हेतु सीमित समय
5 अक्टूबर से मुख्य परीक्षा की तिथि निर्धारित है, जिसके लिए सीमित समय शेष है।
पिछले लेख में हमने सामान्य अध्ययन को छुआ, तब से वैकल्पिक विषयों-सम्बन्धी प्रश्नों का अम्बार लग गया है, ’कौनसा ऐच्छिक विषय अंकदायी है ?’ किस विषय का पाठ्यक्रम अपेक्षाकृत छोटा है ? किस विषय की तैयारी अल्प समय में नियन्त्रित की जा सकती है ? कौनसे दो विषयों का संयोजन सफलता दे रहा है ? आदि
ब्ैम् 2011 परिणाम: ऐच्छिक विषयों के रूझान पर एक नजर
सिविल सेवा परीक्षा के कुछ मानक हैं और एक प्रभावी तैयारी के लिए व्यवस्थित एवं ध्यान केन्द्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, आप जीवन के एक नए चरण की दहलीज पर खड़े हैं जहाॅं आप सही दिशा और सही जानकारी खोजने की कोशिश में लगे हैं,
2011 के परिणाम देखने पर अब यह स्पष्ट है कि चयनित उम्मीदवारों ने बहुमत में उम्मीदवार ऐच्छिक विषय के रूप में लोकप्रशासन, भूगोल, समाजशास्त्र, मनो-विज्ञान और इतिहास जैसे विषयों को लेकर सफलता प्राप्त की है,
राजनीति विज्ञान एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, दर्शनशास्त्र, मानव विज्ञान, अर्थशास्त्र आदि को लेकर भी कई उम्मीदवार सफल रहे हैं, ऐच्छिक विषय के रूप में भाषाओं के साहित्य के साथ भी सफलता एकरूप दिखने में आ रही है।
यहाॅं तक कि विज्ञान विषयों, इंजीनियरी एवं चिकित्साविज्ञान विषयों के साथ भी सफलता की संख्या अच्छी-खासी है। कहने का आशय यह है कि लगभग सभी ऐच्छिक विषयों ने उम्मीदवारों को सफलता प्राप्त करने में मदद दी है, कुछ ऐच्छिक विषय ऐसे हैं, जहाॅं बड़ी संख्या में सफलता दृष्टि में आ रही है कुछ में कम, यह अधिकांशतः ऐच्छिक विषयों को लेकर मुख्य परीक्षा में बैठने वाला उम्मीदवारों की संख्या पर भी निर्भर करता है।
ऐच्छिक विषयों के सम्बन्ध में सही तस्वीर तभी आ पाएगी जब इस परीक्षा से सम्बन्धित आॅंकड़े आधिकारिक तौर पर उपलब्ध होंगे, लेकिन रूझान स्पष्ट रूप से संकेत कर रहे हैं कि लोकप्रशासन, भूगोल और समाजशास्त्र जैसे विषय को एक ऐच्छिक विषय में रूप में लेकर उम्मीदवार बड़ी संख्या में सफलता प्राप्त कर रहे हैं, परन्तु देखा जाए, तो इन विषयों में सफलता दर में कमी दिख रही है, इसका कारण अधिक संख्या में उम्मीदवारों द्वारा इन विषयों को चुनना और प्रयास करना है। कभी-कभी ऐसे उम्मीदवार जो गम्भीर नहीं हैं और कुछ उम्मीदवार विषयों-सम्बन्धी विशिष्ट आवश्यकताओं को समझे बिना केवल विषय-सम्बन्धी सफलता देखकर ही दूसरों का अनुसरण करते हुए ऐच्छिक विषयों का चुनाव कर बैठते हैं।
इस वर्ष के परिणाम में ध्यान देने योग्य मनोविज्ञान विषय का है जहाॅं फिर वापस मजबूती दिखाई दे रही है, यहाॅं यह स्पष्ट करना चाहॅूंगा कि अधिकांशतः इस विषय के परिणाम अंगे्रजी माध्यम से ही हैं।
उच्च स्थान पर सफल उम्मीदवारों और तैयारी कर रहे युवाओं में राजनीति विज्ञान एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धित विषय पर प्रतिक्रिया देखने से साफ लगता है कि इस विषय के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। किसी तरह की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी, परन्तु लक्षण साफ-साफ इस विषय में एक नया जीवन दिखा रहे हैं और शायद इसकी वजह राजनीति विज्ञान एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध्ाित विषय और सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में ओवरलैप भी इसका एक कारण हो सकता है।
एक वैकल्पिक विषय के रूप में विधि के लिए आकर्षण पिछले वर्ष एस. दित्य दर्शिनी (रैंक 1, ब्ैम् 2010) की सफलता के बाद बढ़ा है, इस वर्ष फिर से कई उम्मीदवारों ने विधि विषय के साथ उच्च रैंक प्राप्त किए हैं और यह विषय फिर से सुर्खियों में है, इस बार गौर करने लायक बात यह है कि बिना विधि पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों जैसे नीतिका पवार (18वीं रैंक) और अजय कटेसरिया (28वीं रैंक) ने उच्च स्थान पर सफलता पर नया विकल्प प्रस्तुत किया है। विधि भी ऐसा ही विषय है जहाॅं अंगे्रजी माध्यम के उम्मीदवारों का ही वर्चस्व है।
अन्य विशेष प्रभाव विज्ञान विषयों/इंजीनियरिंग/चिकित्सा विज्ञान विषयों के परिणाम में भी दृष्टिगोचर हैं, भौतिकी, गणित, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग आदि ऐच्छिक विषय लेकर कई उम्मीदवार प्रथम 25 रैंक पर नजर आ रहे हैं, रूझाान दर्शा रहे हैं कि उम्मीदवारों का आशावादी रूख फिर से इन विषयों की ओर मुड़ रहा है।
हिन्दी माध्यम के विज्ञान पृष्ठभूमि उम्मीदवारों के लिए भी एक आशा की किरण 107 रैंक प्राप्त प्रवीण लाए हैं, जिन्होंने वनस्पति विज्ञान (ठवजंदल) जैसे विषय को लेकर उच्च अंक प्राप्त किए हैं, जो उनकी सफलता में महत्वपूर्ण रहे।
हैरानी की बात है कि दर्शनशास्त्र जैसे विषय जो पिछले वर्षों में उच्च सफलता देता रहा है, इसमें उम्मीदवार विश्वास खोते जा रहे है, इसका कारण चयन की संख्या और सफलता दर में कमी निरन्तर दिख रही हैं।
कल तक पहले प्रयास में नया विषय लेकर बैठने वालों का पसंदीदा विषय, छोटे पाठ्यक्रम के रूप में प्रचलित इस विषय में ऐसा क्या हो गया है, जो दर्शनशास्त्र लेकर तैयारी करने वालों के आत्मविश्वास में कमी का कारण है।
मानव विज्ञान, वाणिज्य आदि जैसे ऐच्छिक विषय में सफलता का रूख जारी है और उम्मीदवारों का ध्यान आकर्षित करने में सक्षम रहेगा।
भाषाओं के साहित्य को लेकर सफलताओं रूझान भी सकारात्मक नजर आ रहा है।
छब्म्त्ज् पुस्तकों की सिविल सेवा परीक्षा में भूमिका
मैं जानता हूॅं कि यह कहना आसान है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए (विशेष रूप से सामान्य अध्ययन के लिए) इसे पढ़ें …… और इन पुस्तकों की लम्बी सूची छब्म्त्ज् की छटी से बारहवीं तक की विभिन्न विषयों की पुस्तकों को पढ़ने की सलाह से शुरू होती है, मैं आप लोगों से सहमत हॅूं कि यह कोई आसान कार्य नहीं है, 6-7 विषयों पर इन सभी कक्षाओं की किताबों का मतलब 40 से अधिक पुस्तकें और हजारों पृष्ठ पढ़ने का जिम्मा इससे पहले कि आप गम्भीर तैयारी की शुरूआत कर सकें।
इसका अर्थ क्या यह है कि पहले आप इन पुस्तकों को पढ़ें और याद करें…..इससे तो महीनों का समय लग जाएगा। पढ़ने समझने और नोट्स बनाने में…. फिर कैसे करें इसका प्रबंधन यह एक बड़ा सवाल है और इसका उत्तर मैं दो भागों में दूॅंगा, एक, इनकी क्या जरूरत है, दो, कैसे प्रबंधन करें,
छब्म्त्ज् पुस्तकों की क्या जरूरत है ?
प्रश्न-पत्र चाहे वह प्रारम्भिक परीक्षा हो या मुख्य, संघ लोक सेवा आयोग ने सदैव ही प्रश्नों की प्रवृति और प्रकार में बदलाव और नयापन देकर उम्मीदवारों को चकित किया है, इन स्थितियों का सामना करने के लिए एक व्यापक समझ और मौलिक एवं आध्ाारभूत स्पष्टता की जरूरत अपेक्षित है।
छब्म्त्ज् पुस्तकें आपकी तैयारी में आधारशिला के रूप में कार्य करती हैं और विस्तृत एवं आधारभूत स्पष्टता के साथ आप सिकी भी समसामयिक घटना/मुद्दों को सही प्रकार समझ सकते हैं और सहसम्बन्ध जानने की स्थिति में आ सकते है।
इस परीक्षा में वर्तमान परिस्थितियों में आप तब तक प्रभावी प्रदर्शन नहीं दे सकते जब तक आप मौलिक सूचनाओं/जानकारियों से परिचित हैं, यही वजह है कि विशेषज्ञ छैम्त्ज् की पुस्तकें पढ़ने की सलाह देते हैं।
तैयारी के समय कैसे करें इनका प्रबंधन ?
हम सभी ने यह पुस्तकें अपने स्कूल में पढ़ी हैं और ज्ञान अर्जन की पहली सीढ़ी पर इन पुस्तकों द्वारा ही समझ मिली है।
10वीं कक्षा के बाद जब आप कैरियर विकल्प पर आधारित विषयों के और अपनी पसंद के विषयों का चुनाव कर स्ट्रीम का चयन करते हैं, तब आप कुछ विषयों से सम्पर्क बड़ी गहराई में करने लगते हैं और साथ ही कुछ विषयों से आपका नाता टूट जाता है।
जब तक आप सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का निर्णय लेते हैं कुछ विषय अंजाने से लगते हैं, क्योंकि सम्पर्क टूट गया होता है, इस परीक्षा का पाठ्यक्रम ऐसा है, जो विविध विषय धाराओं के प्रति आपकी समझ और जागरूकता को परखता है।
इन विषयों से फिर से सम्पर्क और समझ बनाने के लिए जरूरत पड़ती है, छब्म्त्ज् पुस्तकों की।
इसका मतलब कतई यह नहीं है कि आपको महीनों इन पर पिले रहना है। आपका उद्देश्य अपने ज्ञान को ताजा करना है और मस्तिष्क से एकत्र पिछली सूचनाओं पर पड़ी धूल को हटाना है, जो आपने अपने स्कूल के समय में पढ़ी थीं।
यदि 11वीं में विज्ञान विषय लेकर बाद में इंजीनियरिंग/चिकित्साविज्ञान की ओर मुड़ गए थे, तो आपको मानविकी विषयों पर विशेष ध्यान लगाना होगा विज्ञान विषय की पुस्तकों की तुलना में।
हो सकता है कि जब आप इतिहास, भूगोल या समाजशास्त्र की पुस्तकें पढ़ें तो शुरू-शुरू में कठिनाई होगी, परन्तु सिविल सेवा परीक्षा के लिए पढ़ने का उद्देश्य आपकी दिलचस्पी बढ़ाएगा और जिज्ञासाओं को पूर्ण करने हेतु पढ़ने में लगाए रखेगा।
ऐसा ही उन उम्मीदवारों के साथ होगा जिन्होंने मानविकी विषय लेकर अध्ययन किया और उन्हें विज्ञान विषयों-सम्बन्धी ज्ञान हेतु अधिक परिश्रम करना पड़ेगा।
पुस्तकों का चयन करते समय सिविल सेवा परीक्षा के अवयवों से सम्बन्धी विषयों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जो महत्वपूर्ण हैं।
अध्ययन की ऐसी योजना बनाएं जहाॅं खाली समय में इन पुस्तकों का अध्ययन करने की मानसिकता बनाएं जहाॅं यह अध्ययन कभी बोझ न लगे।
तैयारी में कोचिंग और प्रभावी कैसे हो सकती है ?
जब इस सिविल सेवा परीक्षा की बात करते हैं, तो कोचिंग संस्थानों को कुछ उम्मीदवार एक उत्प्रेरक के रूप में देखते हैं। आगामी उम्मीदवार जब किसी परिणाम पर नजर डालते हैं, तो सबसे पहले ऐच्छिक विषयों पर फिर कोचिंग संस्थानों के नाम ढूॅंढ़ने की कोशिश करते हैं। जहाॅं से टाॅपर्स ने कोचिंग ली है।
ऐसे उम्मीदवार जो सहायता हेतु कोचिंग संस्थान में दाखिला लेते हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं, जो यह समझते हैं कि अब उनका काम खत्म और कोचिंग संस्थान स्वयं उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए कार्य करेगा।
यह एक दुःखद स्थिति होती है जब वह यह भूल जाते हैं कि यह उनकी लड़ाई है न कि कोचिंग संस्थान की और इसमें उनका समय, प्रयास, ऊर्जा और पैससा लगा है, कई बार कुछ उम्मीदवार कोचिंग का मतलब ही नहीं समझ पाते कोचिंग का मतलब आपकी तैयारी की नींव मजबूत करना और इसे आगे ले जाकर तैयारी का स्तर ऐसा बनाना जहाॅं आपकी तैयारी परीक्षकों की उम्मीदों पर खरी उतर सके।
इससे पहले कि आप तैयारी करने के लिए कोचिंग संस्थान का रूख करें, आपको यह स्पष्ट होना चाहिए किस विषय में आपको सहायता की जरूरत है, क्या दोनों विषयों में और साथ में सामान्य अध्ययन की तैयारी में मार्गदर्शन चाहिए या इनमें से कुछ आप स्वयं तैयार कर सकते हैं।
कोचिंग में जाने से पहले यदि आप विषय से परिचित हैं और मूल बातों की समझ है, तो आपको कोचिंग में समझने में आसानी होगी और तैयारी में प्रभावशीलता आएगी, यदि ऐसा नहीं है, तो सम्भावनाएं हैं कि किसी विशेष टाॅपिक के अन्त में कक्षा में अधिकांश छात्र अगले टाॅपिक पर जाने के लिए बढ़ना पसंद करेंगे, जबकि कुछ छात्र ऐसे हो सकते हैं, जो इसी टाॅपिक पर स्पष्टता और स्पष्टीकरण की चाह में कक्षा की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
कुछ उम्मीदवार ऐसे भी होते हैं, जो इस परीक्षा को खण्डों के रूप में देखते हैं और एक खण्ड (प्रारम्भिक परीक्षा) की तैयारी कर, सफलता के बाद दूसरे खण्ड (मुख्य परीक्षा) के बारे में तैयारी की योजना बनाकर चलते हैं, आप आज की बदलती हुई जरूरतों को समझें और परीक्षा की एकीकृत तैयारी (प्रारम्भिक एवं मुख्य) की योजना बनाकर चलें।
परीक्षा की योजना को समझें जहाॅं आपकी अन्तिम सफलता आपकी मुख्य परीक्षा (लिखित साक्षात्कार) में प्रदर्शन पर निर्भर करती है।
यदि आपको सामान्य अध्ययन या ऐच्छिक विषयों की तैयारी हेतु कोचिंग संस्थानों से सहायता लेनी है, तो समय बर्बाद न करें। सही प्रकार से नियोजन करें और प्राथमिकताओं के आधार पर सही समय पर निर्णय लें, अन्त समय पर यह न हो कि सीमित समय के अन्दर ही बहुत कुछ चीजें छूट जाएं जिन पर आपको ध्यान देना है।
ईमानदार प्रयास द्वारा अपने जुनून को हकीकत में बदलें
यह समय ऐसा है, जो सिविल सेवा परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है, नये-नये उम्मीदवार आशा के साथ इस परीक्षा की तैयारी शुरू करते है और खास कर उनके लिए तो यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है जो इस वर्ष मुख्य परीक्षा 2012 में बैठने की आशा रखते हैं। आपके लिए समय प्रबंधन महत्वपूर्ण होने जा रहा है।
उत्कृष्ट प्रर्दशन की उम्मीद आपकी तैयारी के साथ ही शुरू हो जाती है और जब तक आप सफलता प्राप्त नहीं कर लेते आप पर दबाव बना ही रहता है, यहाॅं आपके प्रयास और बौद्धिक क्षमताओं का काम है और इसमें कोई शक नहीं कि अपने दोस्तों शिक्षकों, विशेषज्ञों की सहायता से आप एक उच्च प्रदर्शन प्रस्तुत करने में सक्षम हो सकेंगे।
आपके माता-पिता एवं परिववार का सहयोग, समर्थन आपसे सकारात्मक परिणाम की आशा रखते हैं।
तैयारी करें… सफलता प्राप्त करें…. उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं सहित।
सौजन्य: प्रतियोगिता दर्पण