आज कल हमारे खाद्य सुरक्षा बिल को लेकर पूरे विश्व में हड़कंप मचा हुआ है। इसी परिप्रेक्ष्य में विश्व व्यापार संगठन का कहना है कि यदि ऐसा होता है तो वह सारे देश जो कि खाद्य के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हैं को समस्याओं सामना करना पड़ सकता है क्यों कि भारत जैसा कृषि प्रधान देश ही यदि अपने खाद्याान्न को वैधानिक अधिकार में शामिल कर लेगा तो वह दूसरे देशों को क्या भेज पाएगा। एक प्रकार से देखा जाय तो यह सही भी लग रहा है क्यों कि यदि सभी देश अपने ही बारे में सोचने लगेंगे तो फिर हमारे वैश्विकरण अथवा ’’वसुधैव कुटुम्बकम्’’ वाली बात तो सही हो ही नहीं सकती लेकिन कोई भी देश पहले अपने समाज के भूख को शांत करने की कोशिश करेगा और यह करना उचित भी है। इस प्रकार अगर भारत यह कर रहा है तो कहां गलत है । हां, यदि अधिशेष हो रहा हो तो ऐसे में बाहर न भेजना गलत माना जा सकता था। खैर, भारत की संस्कृति रही है कि उसके कभी भी किसी के विकास में बाधक नहीं रहा है, और जहां तक खाद्य सुरक्षा बिल के मामले की है तो ये तो हमेशा से ही हमारे देश में रहा है फिर चाहे वह लक्षित लोक वितरण तंत्र हो या फिर मध्यान्ह भोजन वितरण हो और इसमें हमेंशा प्रगति की गुंजाईश भी रही है। यह अवश्य है कि इसे अब वैधानिक अमलीजामा पहनाने की कोशिश की जा रही है तो इसमें गलत क्या है ? यद्यपि अब ये समय बताएगा कि विश्व व्यापार संगठन इस बारे में क्या सोचता है ?
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Food Security in India
Posted by admin on October 15th, 2013 05:44 AM. Under Coaching Updates, EssaysComments are closed.